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सर्वोच्च न्यायालयाच्या अंतरिम आदेशावर AIMPLB नाराज, म्हटले – “अपूर्ण आणि असमाधानकारक” |
नवी दिल्ली, सप्टेंबर (Viral News Live):
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सोमवारी सर्वोच्च न्यायालयाने वक्फ (दुरुस्ती) अधिनियम २०२५ संदर्भात दिलेल्या अंतरिम आदेशावर नाराजी व्यक्त केली आहे. बोर्डाने या निर्णयाला “अपूर्ण आणि असमाधानकारक” असे संबोधले.
बोर्डाचे प्रवक्ते डॉ. एस. क्यू. आर. इलियास यांनी सांगितले की, सर्वोच्च न्यायालयाने जरी काही वादग्रस्त तरतुदींवर स्थगिती दिली असली तरीही मुस्लीम समाज व इतर नागरिकांनी मांडलेल्या मोठ्या घटनात्मक मुद्द्यांकडे दुर्लक्ष केले गेले आहे.
त्यांनी म्हटले, “न्यायालयाने काही प्रमाणात दिलासा दिला आहे, मात्र मोठ्या घटनात्मक प्रश्नांना हात घातला नाही, ही बाब निराशाजनक आहे. अनेक महत्वाच्या तरतुदी अजूनही तशाच राहिल्या असून त्या मनमानी करणाऱ्या आणि समाजासाठी हानिकारक आहेत.”
काही दिलासा, काही चिंता कायम
अंतरिम आदेशात वक्फ मालमत्तेच्या हक्कांचे संरक्षण, महसूल अधिकाऱ्यांच्या मनमानी अधिकारांवर मर्यादा, वक्फ बोर्डांवर गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्वाला आळा आणि वक्फ तयार करण्यापूर्वी सलग पाच वर्षे मुस्लिम असल्याचा पुरावा देण्याची अट स्थगित करण्यात आली आहे.
मात्र AIMPLB ने चिंता व्यक्त केली आहे की ‘युजरद्वारे वक्फ’ मान्यता रद्द करणे आणि वक्फ डीड अनिवार्य करणे या सारख्या तरतुदी कायम ठेवण्यात आल्या आहेत, ज्या इस्लामिक कायद्याच्या विरोधात आहेत.
आंदोलन अधिक तीव्र होणार
डॉ. इलियास म्हणाले, “संपूर्ण दुरुस्ती ही वक्फ मालमत्ता कमकुवत करून ती बळकावण्याचा डाव आहे. आम्ही वक्फ (दुरुस्ती) अधिनियम २०२५ संपूर्णपणे मागे घेण्याची मागणी करतो.”
त्यांनी पुढे सांगितले की बोर्डाचा ‘सेव्ह वक्फ अभियान’ आता अधिक तीव्र करण्यात येणार आहे. या मोहिमेचा दुसरा टप्पा १ सप्टेंबरपासून सुरू झाला असून त्यामध्ये धरणे, निदर्शने, वक्फ मोर्चे, निवेदने, नेत्यांच्या अटक, गोलमेज परिषद, आंतरधार्मिक संवाद व पत्रकार परिषदांचा समावेश आहे.
या मोहिमेचा समारोप १६ नोव्हेंबर २०२५ रोजी दिल्लीतील रामलीला मैदानावर होणाऱ्या भव्य सभेत होणार असून देशभरातून मोठ्या प्रमाणात लोकांच्या सहभागाची अपेक्षा आहे.
English Version
AIMPLB disappointed with SC’s interim order on Waqf (Amendment) Act 2025, calls it “incomplete and unsatisfactory”
New Delhi, September 15 (Viral News Live):
The All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) on Monday expressed disappointment over the Supreme Court’s interim order on the Waqf (Amendment) Act 2025, terming it “incomplete and unsatisfactory.”
Board spokesperson Dr. S. Q. R. Ilyas said that while the apex court stayed certain controversial provisions of the law, it failed to address the broader constitutional concerns raised by Muslims and other citizens.
“While the Court has granted partial relief, it has not touched the larger constitutional issues, which has left us disappointed,” Dr. Ilyas said. He further warned that provisions not stayed could be misused by government functionaries.
Partial relief, persisting concerns
The interim order provided relief on several fronts — including protection of waqf property rights, curbing arbitrary powers of revenue officers, limiting non-Muslim representation on waqf boards, and suspending the rule that required proof of being a practicing Muslim for five years before creating a waqf.
However, the AIMPLB said it remains deeply concerned about provisions such as the derecognition of ‘Waqf by user’ and the compulsory requirement of a waqf deed, which it argued contradict Islamic law.
Campaign to intensify
Dr. Ilyas declared, “The entire amendment is a deliberate move to weaken and seize waqf properties. We demand the complete repeal of the Waqf (Amendment) Act 2025 and restoration of the earlier law.”
He added that the Board’s ‘Save Waqf Campaign’ has now entered its second phase, launched on September 1, 2025, which includes dharnas, demonstrations, waqf marches, memorandums, leadership arrests, roundtable meetings, interfaith conclaves, and press conferences.
The campaign is scheduled to culminate in a massive rally at Delhi’s Ramlila Maidan on November 16, 2025, with nationwide participation expected.
हिंदी संस्करण
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से AIMPLB निराश, कहा – “अधूरा और असंतोषजनक”
नई दिल्ली, 15 सितंबर (Viral News Live):
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर अंतरिम आदेश को “अधूरा और असंतोषजनक” बताया है।
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एस. क्यू. आर. इलियास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून की कुछ विवादित धाराओं पर रोक लगाई है, लेकिन मुसलमानों और अन्य नागरिकों द्वारा उठाए गए बड़े संवैधानिक मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर दिया है।
उन्होंने कहा, “कोर्ट ने आंशिक राहत दी है लेकिन बड़े संवैधानिक सवालों को छुआ तक नहीं, जिससे हम बेहद निराश हैं। कई महत्वपूर्ण प्रावधान अब भी जस के तस हैं, जो मनमानी और समुदाय के लिए हानिकारक हैं।”
राहत भी, चिंता भी
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के अधिकारों की सुरक्षा, राजस्व अधिकारियों की मनमानी शक्तियों पर अंकुश, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व को सीमित करने और वक्फ बनाने से पहले पाँच साल तक मुसलमान होने का सबूत देने वाली शर्त को निलंबित कर दिया है।
लेकिन AIMPLB ने कहा है कि ‘यूज़र द्वारा वक्फ’ की मान्यता खत्म करने और वक्फ डीड को अनिवार्य करने जैसे प्रावधान अब भी बने हुए हैं, जो इस्लामी कानून के खिलाफ हैं।
आंदोलन तेज़ होगा
डॉ. इलियास ने कहा, “पूरा संशोधन वक्फ संपत्तियों को कमजोर और हड़पने की साजिश है। हम वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की पूरी तरह से वापसी की मांग करते हैं।”
उन्होंने बताया कि बोर्ड का ‘सेव वक्फ कैंपेन’ अब और तेज़ होगा। इस अभियान का दूसरा चरण 1 सितंबर से शुरू हो चुका है, जिसमें धरने, प्रदर्शन, वक्फ मार्च, ज्ञापन, नेतृत्व गिरफ्तारियां, राउंडटेबल बैठकें, अंतरधार्मिक संवाद और प्रेस कॉन्फ्रेंस शामिल हैं।
इस अभियान का समापन 16 नवंबर 2025 को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली विशाल रैली से होगा, जिसमें देशभर से लोगों की बड़ी भागीदारी की उम्मीद है।