जमीयत उलमा को मज़बूत करें और मिशन को जन-जन तक पहुंचाएं: मुफ्ती हारून नदवी
प्रतिनिधि, धुलिया |
उत्तर महाराष्ट्र जमीयत उलमा अरशद मदनी के तरबियती इजलास का आयोजन धुलिया में बड़े पैमाने पर किया गया। इस अवसर पर जमीयत उलमा महाराष्ट्र के सदर मौलाना हलीमुल्लाह क़ासमी ने कहा कि जमीयत के बुजुर्गों को अल्लाह ने कुरआनी व नबवी इल्म के साथ-साथ समय के सियासी और समाजी उतार-चढ़ाव को समझने की गहराई भी अता की है। ऐसे बुजुर्ग हालात की नब्ज़ पकड़ते हैं और ऐसा नेतृत्व देते हैं जिससे नुकसान के बिना उम्मत को कामयाबी मिलती है। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से अपील की कि जमीयत के मिशन को मजबूत करें और उसकी सेवाओं को आगे बढ़ाएं।
मौलाना आरिफ उमरी (नायब सदर, जमीयत उलमा महाराष्ट्र) ने जमीयत की ऐतिहासिक भूमिका और सेवाओं पर प्रकाश डाला। वहीं मुफ्ती हफीजुल्लाह क़ासमी ने जमीयत की जनसेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जमीयत न केवल मिल्लत की आवाज़ है, बल्कि जमीनी स्तर पर राहत और इस्लाह की एक ठोस मिसाल भी है।
इस अवसर पर जमीयत उलमा महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद हारून नदवी ने देश के वर्तमान हालात पर चिंता जताई और कहा कि जमीयत की भूमिका आज पहले से कहीं अधिक अहम हो गई है। उन्होंने अरशद मदनी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा करते हुए कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे जमीयत की सेवाओं को हर घर तक पहुंचाएं।
क़ारी यूनुस ने समाज सुधार (इसलाह-ए-मुआशरा) पर जोर देते हुए इख़लास और ईमानदारी से काम करने की नसीहत दी। इजलास के सदारती खिताब के बाद कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए, जिनमें वक्फ कानून में काले प्रावधानों का विरोध, लाउडस्पीकर के मुद्दे पर मुस्लिम समाज को निशाना बनाए जाने का विरोध और कुरैशी बिरादरी पर हो रहे अन्याय का कड़ा विरोध शामिल है। मौलाना शकील, मौलाना अब्दुल कय्यूम (मालेगांव) और मुश्ताक सूफी द्वारा प्रस्तुत इन प्रस्तावों को उपस्थित कार्यकर्ताओं ने हाथ उठाकर समर्थन दिया।
कार्यक्रम का समापन मौलाना हलीमुल्लाह क़ासमी की विशेष दुआ पर हुआ।
आयोजन को सफल बनाने में धुलिया जमीयत की टीम का योगदान
इस आयोजन को सफल बनाने में धुलिया जमीयत की टीम ने पूरी मेहनत की। प्रमुख नामों में हाफिज हिफजुर्रहमान, मौलाना शकील क़ासमी, हाजी मुश्ताक सूफी, हाजी मुख्तार शरीफ, हाजी शव्वाल अमीन, शेख परवेज़, ताहिर भाई, हाफिज रिज़वान, हाजी असगर, यूसुफ पापा सर, एजाज़ रफीक, आरिफ अर्श, शेख अयाज़ अहमद, अब्दुल मोहित, मुफ्ती शफीक क़ासमी, मौलाना ज़ाहिद, मसूद अहमद, जाहिद अहमद, अबूजर, मौलाना मुबीन, सलीम भैया, अकबर सर और नोमान सर शामिल रहे।
वृहद भागीदारी
इस इजलास में जलगांव, मालेगांव, नंदुरबार, नवापुर, अहमदनगर, नासिक, यावल, चोपड़ा, एरंडोल, शहादा, शीरपुर सहित पूरे खानदेश क्षेत्र से बड़ी संख्या में जिम्मेदार कार्यकर्ता उपस्थित रहे।