वसीम अकरम त्यागी ने कहा कि ये गिरफ्तारियां न केवल संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन हैं, बल्कि यह सवाल भी उठता है कि पुलिस ने ऐसा कौन-सा क़ानून लागू किया जिसके तहत इन लोगों को हिरासत में लिया गया? उन्होंने लिखा, “जब फिलिस्तीन का झंडा लहराना अपराध ही नहीं, तब ये अवैध गिरफ्तारियां किस लिए?” त्यागी ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले एक दशक में दक्षिणपंथी विचारधारा ने देश में मुस्लिम विरोधी माहौल को हवा दी है, और इसी वजह से फिलिस्तीन जैसे मुस्लिम बहुल राष्ट्र का समर्थन करना अब संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि “ज़ायनिस्ट इज़रायल के महिमामंडन” के चलते फिलिस्तीन का समर्थन “अपराध” बना दिया गया है। अपने पोस्ट के अंत में उन्होंने न्यायपालिका से अपील की कि वह ऐसे मामलों का संज्ञान ले और ‘क़ानून’ के बजाय ‘ऊपर’ से मिले ‘आदेश’ पर गिरफ़्तारी करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल मानवाधिकारों बल्कि भारत की विदेश नीति की दिशा और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
झंडा लहराने पर गिरफ़्तारियां — पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने उठाए गंभीर सवाल
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July 09, 2025
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नई दिल्ली, 9 जुलाई 2025:
मुहर्रम के जुलूसों के दौरान फिलिस्तीन का झंडा लहराने पर देश के कई हिस्सों, खासकर बीजेपी शासित राज्यों में पुलिस द्वारा की गई गिरफ़्तारियों पर पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए उन्होंने पूछा कि जब भारत का रुख आज़ादी के बाद से फिलिस्तीन के समर्थन में रहा है, तो ऐसे में फिलिस्तीन के झंडे को लहराना अपराध कैसे हो सकता है?
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