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जलगांव के आर. आर. विद्यालय में कक्षा 9वीं के एक छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। शुरुआत में इसे दुर्घटना माना गया, लेकिन पुलिस जांच में सामने आया कि यह मामला सहपाठियों के बीच हुए विवाद और मारपीट से जुड़ा था। इसी आधार पर अब यह केस "अकस्मात मृत्यु" न होकर "गैर इरादतन हत्या" (Culpable Homicide) के रूप में दर्ज किया गया है।
यह घटना केवल एक छात्र की जान जाने का मामला नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। विशेषज्ञों का मानना है कि विद्यालयों में शिक्षकों की निगरानी की कमी, छात्रों के बीच बढ़ता तनाव और संवादहीनता, ऐसी घटनाओं को जन्म दे रहे हैं।
घटना के बाद अभिभावकों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। जिन विद्यालयों में बच्चे शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं, अगर वही स्थान उनकी सुरक्षा में विफल साबित हो रहे हैं, तो यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं स्कूल प्रशासन भी आंतरिक जांच में जुटा है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने सभी स्कूलों को छात्रों की गतिविधियों पर विशेष निगरानी रखने और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं।
शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि यह संस्कार देने का माध्यम है। यदि विद्यालयों में ही हिंसा, असंवेदनशीलता और भय का माहौल बनेगा, तो समाज की नींव हिलने में देर नहीं लगेगी। यह समय है जब विद्यालयों को न केवल अकादमिक बल्कि मानसिक और शारीरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।