कुरैशी समाज का ऐतिहासिक फैसला : 22 जुलाई से जानवरों का कारोबार अनिश्चितकाल के लिए बंद – सम्मान और न्याय की लड़ाई की गूँज पूरे देश में

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कुरैशी समाज का ऐतिहासिक फैसला : 22 जुलाई से जानवरों का कारोबार अनिश्चितकाल के लिए बंद – सम्मान और न्याय की लड़ाई की गूँज पूरे देश में


अकोला से विशेष संवाददाता
19 जुलाई को अकोला में आयोजित “कुरैशी समाज पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ बुलंद” नामक ऐतिहासिक सम्मेलन में देशभर से आए कुरैशी बिरादरी के प्रतिनिधियों ने एक ऐसा फैसला लिया जो आने वाले समय में न सिर्फ़ समाज की पहचान बनेगा बल्कि सामाजिक न्याय के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा।

इस सम्मेलन में, जो कि कुरैशी समाज के लिए निर्णायक साबित हुआ, सर्वसम्मति से यह घोषणा की गई कि 22 जुलाई 2025 से देशभर में जानवरों की खरीद‑फरोख़्त और इससे जुड़े सभी कारोबार को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जाएगा।
यह फैसला कुरैशी बिरादरी की तरफ से एक शांतिपूर्ण किंतु बेहद मज़बूत प्रतिरोध के रूप में लिया गया है ताकि समाज पर हो रहे लगातार अत्याचार, भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ देश और दुनिया में एक स्पष्ट संदेश जा सके।


सम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब, हर कोने से पहुँचे लोग

अकोला के मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में कुरैशी समाज के लोग, महिलाएं, युवा और बुज़ुर्ग दूर‑दूर से आए। मंच पर मौजूद प्रमुख नेतृत्व – बिरादरी के सदर आरिफ चौधरी, मौलवी अब्दुल जब्बार मंजरटी और समाज के अन्य जिम्मेदारों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “अब कुरैशी समाज चुप नहीं बैठेगा।”


क्यों लिया गया इतना बड़ा फैसला?

पिछले कुछ वर्षों से देशभर में कुरैशी समाज के लोगों पर हो रहे हमले, झूठे आरोप, भेदभाव और कारोबार में लगातार आ रही दिक्कतों ने पूरे समाज को झकझोर दिया।
गोश्त कारोबार और जानवरों से जुड़े व्यवसाय में लगे हज़ारों परिवारों को न केवल आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा बल्कि अपमान का सामना भी करना पड़ा।

बिरादरी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा –

“यह फैसला केवल रोज़ी‑रोटी का नहीं, बल्कि सम्मान की लड़ाई है। जब तक हमारी इज्जत, हमारे अधिकार और हमारी सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती, तब तक यह कारोबार बंद रहेगा।”


देशभर से मिल रहा है समर्थन

अकोला के इस सम्मेलन की गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात समेत कई राज्यों के कुरैशी समाज के संगठनों ने इस फैसले का पुरज़ोर समर्थन किया है। जगह‑जगह मीटिंग्स और जनसभाओं में लोग यह संकल्प दोहरा रहे हैं कि जब तक इंसाफ़ नहीं मिलेगा, जानवरों का कारोबार शुरू नहीं किया जाएगा।


आर्थिक दबाव से अधिक अहम है सम्मान

समाज के नेताओं का कहना है कि यह कदम आसान नहीं है, क्योंकि इस कारोबार पर लाखों परिवारों की रोज़ी चलती है। लेकिन जब बात समाज की इज्जत और सुरक्षा की हो, तो आर्थिक नुकसान की परवाह नहीं की जा सकती।
कई वक्ताओं ने मंच से यह भी कहा कि आने वाले समय में वैकल्पिक रोजगार योजनाएं बनाई जाएंगी, लेकिन वर्तमान में सबसे ज़रूरी है कि समाज एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ खड़ा हो।


कुरैशी समाज का संदेश – अब चुप्पी नहीं

सम्मेलन में बार‑बार यह नारा गूंजता रहा –
“अब नहीं सहेंगे अपमान, अब नहीं झुकेंगे, कुरैशी समाज एकजुट है!”

आरिफ चौधरी ने कहा –

“हम किसी से टकराना नहीं चाहते, लेकिन अब अत्याचारों पर चुप नहीं रहेंगे। यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा, लेकिन हमारी एकजुटता का सबूत पूरी दुनिया देखेगी।”


सरकार और प्रशासन से अपील

कार्यक्रम में मौजूद समाज के प्रतिनिधियों ने सरकार और प्रशासन से भी अपील की कि वे कुरैशी समाज के साथ हो रहे अन्याय को रोकें, उनके अधिकारों की रक्षा करें और कारोबार करने की सुरक्षित परिस्थितियाँ सुनिश्चित करें।
साथ ही यह भी चेतावनी दी गई कि जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक यह फैसला वापस नहीं लिया जाएगा।


इतिहास रचने की ओर एक कदम

कुरैशी समाज का यह फैसला केवल एक कारोबार बंद करने का ऐलान नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत है।
देश के कोने‑कोने से आ रही प्रतिक्रियाएं यह दिखा रही हैं कि यह आवाज़ अब दबने वाली नहीं है।
कुरैशी बिरादरी ने दिखा दिया है कि सम्मान के लिए लड़ने की हिम्मत आज भी जिंदा है।

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